Monday, March 30, 2009

बगैर सुबूत के एहतियातन गिरफ्तारी नहीं

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि किसी व्यक्ति को बगैर पर्याप्त सुबूत के एहतियातन हिरासत में नहीं रखा जा सकता। सर्वोच्च अदालत ने कहा कि यह संविधान द्वारा प्रदत्त व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार का हनन है।

जस्टिस दलवीर भंडारी और पी. सथशिवम की पीठ ने कहा, 'एहतियातन हिरासत के मामले में अधिकारियों को व्यक्ति के पूर्व में किए गए निरोधात्मक क्रियाकलापों व गतिविधियों की भलीभांति जांच कर लेनी चाहिए। कोई व्यक्ति निरोधात्मक गतिविधियों में फिर संलिप्त हो सकता है, यह स्पष्ट होने के बाद ही उसे हिरासत में लिया जाना चाहिए। यदि किसी निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए उचित साक्ष्य नहीं हैं तो अदालत ऐसे मामलों में हस्तक्षेप कर सकती है। अदालत व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है।'

पीठ ने अपना नजरिया स्पष्ट करते हुए पूजा बत्रा द्वारा अपने पति दीपक बत्रा की एहतियातन हिरासत के खिलाफ दायर याचिका को सुनवाई के लिए मंजूर कर लिया। बत्रा को कस्टम विभाग के अधिकारियों ने विदेशी मुद्रा संरक्षण और तस्करी निवारण अधिनियम के तहत हिरासत में रखा था। विभाग ने उन्हें वर्ष 2006 में भारत में सामान तस्करी करने के आरोप में हिरासत में लिया था। लेकिन, इस आरोप को प्रमाणित करने के लिए उनके पास पर्याप्त सुबूत नहीं थे।

पूजा ने पति की हिरासत के खिलाफ पहले दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका नामंजूर होने और पूजा पर 50 हजार रुपये का दंड लगने के बाद वह सुप्रीम कोर्ट की शरण में पहुंची थीं। अदालत ने उनके पति के हिरासत आदेश को रद करते हुए हाई कोर्ट द्वारा उन पर लगाया गया 50 हजार रुपये का दंड भी समाप्त कर दिया।

(दैनिकजागरण)